प्रख्यात कन्नड़ लेखिका श्रीमती सुधा मूर्ति साहित्य एवं समाज-सेवा के क्षेत्र में अपने अनुपम योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपने बचपन में सुनी कहानियों में से कुछ कहानियों में निहित आदर्शों को अपने अनुभव के आधार पर इस पुस्तक की कहानियों में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। अपने कार्य के दौरान वे अनेक बच्चों से मिली हैं, जो अपने मन में कई सपने, कई आकांक्षाएँ सँजोए रहते हैं। हमारे देश में विभिन्न धर्मों, भाषाओं, बोलियों एवं संस्कृति को विशाल और बृहत् रूप में देखा जा सकता है। ये सभी आपस में एकसूत्र में गुँथे हुए हैं। प्रस्तुत पुस्तक ‘अपना दीपक स्वयं बनें’ में सदाचार, ईमानदारी, कर्तव्यपरायणता आदि शिष्टाचार सिखानेवाली अनुभवजन्य कहानियाँ संकलित हैं। लेखिका ने अपने अध्यापकीय जीवन के सच्चे एवं जीवंत अनुभवों को इसमें उड़ेलने का महती प्रयास किया है। हमें विश्वास है, यह पुस्तक बच्चों को ही नहीं, बड़ों को भी सच्चरित्र, निर्णय-सक्षम, उदार बनाने एवं जीवन-पथ पर प्रगति की राह में अग्रसर रहने में उनका मार्गदर्शन करेगी।
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