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कुमार विश्वास के गीत 'सत्यम् शिवम् सुदरम् के सांस्कृतिक दर्शन की काव्यगत अनिवार्यता का प्रतिपदान करते हैं। कुमार के गीतों में भावनाओं का जैसा सहज, कुंठाहीन प्रवाह है, कल्पनाओं का जैसा अभीष्ट वैचारिक विस्तार है तथा इस सामंजस्य के सृजन हेतु जैसा अद्भुत शिल्प व शब्दकोश है, वह उनके कवि के भविष्य के विषय में एक सुखद आश्वस्ति प्रदान करता है। डॅा. कुमार विश्वास उम्र के लिहाज से नये लेकिन काव्य-दृष्टि से खूबसूरत कवि हैं। उनके होने से मंच की रौनक बढ़ जाती है। वह सुन्दर आवाज़, निराले अंदाज और ऊँची परवाज़ के गीतकार, ग़ज़लकार और मंच पर कहकहे उगाते शब्दकार हैं। कविता के साथ उनके कविता सुनाने का ढ़ंग भी श्रोताओं को नयी दुनिया में ले जाता है। गोपाल दास नीरज के बाद अगर कोई कवि, मंच की कसौटी पर खरा लगता है, तो वो नाम कुमार विश्वास के अलावा दूसरा नहीं हो सकता।
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