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डॉ मनीष श्रीवास्तव जी द्वारा लिखित और इंडिका के सौजन्य से क्रांतिदूत शृंखला के अंतर्गत 10 किताबों का संकलन प्रकाशित किया जाना है। इस शृंखला में भारत की सशस्त्र क्रांति को एक उपन्यास्मृति या उपन्यास्मरण के रूप में तैयार किया गया है। भारत के सुने-अनसुने, जाने-अनजाने क्रांतिदूतों की यह जीव- गाथा आपको उनके समय में ले जाए, यही लेखक की कोशिश रही है। इस शृंखला को लिखने के दौरान लेखक डॉ मनीष श्रीवास्तव जी की कोशिश रही है कि पाठक भगत सिंह को पढ़े तो उनके तथाकथित नास्तिक या वामपंथी वाले रूप की जगह आपको सिर्फ भगत सिंह दिखायी दें। सान्याल साहब का नाम सिर्फ काकोरी से जुड़ कर ना रह जाए। बिस्मिल साहब आर्यसमाजी भर ही ना दिखें और अशफाक़ मात्र एक मुसलमान क्रांतिदूत की तरह सामने ना आयें।
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